भारत से भागे हुए नीरव मोदी को अब लौट कर देश में वापस आना ही होगा। यूनाइटेड किंगडम के न्यायलय से भगोड़े नीरव मोदी को अब ज़बरदस्त आघात लगा है। आज यूनाइटेड किंगडम उच्च न्यायालय द्वारा नीरव मोदी के भारत को लौटा देने के विरुद्ध निवेदन करने की याचना को अस्वीकृत कर दिया गया है।
उच्च न्यायालय में प्रार्थना पत्र देते हुए भागे हुए हीरा व्यापारी द्वारा कहा गया था कि “वो भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अदालत में अपील करना चाहता है।” परन्तु न्यायालय द्वारा नीरव की इस याचना को रद्द करते हुए उसे ज़बरदस्त आघात दिया गया है। अर्थात नीरव मोदी अब न्यायालय में स्वयं को भारत को लौटाने के विरुद्ध याचना नहीं कर सकता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने निवेदन के लिए न्यायालय के समक्ष किए गए दस्तावेज़ पर निर्णय लेते हुए निश्चित किया कि “धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए मोदी के प्रत्यर्पण के पक्ष में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फरवरी के फैसले के खिलाफ अपील करने का कोई आधार नहीं है।”
भगोड़े नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक को 14,000 करोड़ रुपए से अधिक के धोकाधड़ी का इलज़ाम है। इलज़ाम लगने के पश्चात से ही चकमा देकर भागे हुए नीरव मोदी ने बीते महीने ही लंदन उच्च न्यायालय में भारत को स्वयं को सौंपे जाने के विरुद्ध एक आवेदन दर्ज किया था। यूनाइटेड किंगडम की गृह सचिव प्रीति पटेल द्वारा 15 अप्रैल 2021 को निर्देश दिया गया था कि “50 साल के नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाए। 19 मार्च, 2019 को लंदन में गिरफ्तार किये जाने के बाद से ही नीरव मोदी वांड्सवर्थ जेल में कैद है।”
करोड़ों रुपए की जालसाज़ि का इलज़ाम लगने के पश्चात 1 जनवरी 2018 को नीरव मोदी को भारत से भाग गया था। नीरव मोदी के विरुद्ध जून 2018 में ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ संचालित हुआ था। नीरव मोदी पर दबाव बढ़ता जा रहा है। आज ही प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ट्वीट करते हुए सूचना दी गई है कि “ईडी ने न केवल पीएमएलए के तहत विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के मामले में 18,170.02 करोड़ (बैंकों को कुल नुकसान का 80.45%) रुपये की संपत्ति को जब्त किया है, बल्कि 9371.17 करोड़ की कीमत वाली संपत्ति को सरकारी बैंकों को ट्रांसफर भी किया है। इन पैसों से धोखाधड़ी से हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।”