हिमाचल प्रदेश,राजस्थान, हरियाणा, केरल तथा मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में बर्ड फ्लू के अत्यधिक कोप ने लोगों की बेचैनी को तीव्र कर दी है। एक संदेहात्मक परिस्थिति बन गई है पोल्ट्री निर्मित पदार्थ के व्यवहार को लेकर है। अंडे, चिकन जैसे मांसाहार निर्मित पदार्थों का व्यवहार करना भी चाहिए या नहीं। एम्स के पूर्व डाइरेक्टर डॉ. एमसी मिश्रा ने बर्ड फ्लू को लेकर क्या सतर्कता रखनी चाहिए, इसकी पहचान कैसे की जाए, ऐसे ही कुछ जवाब दिए हैं, जिसकी मदद से लोगों की चिंताएं कम होंगी।
आखिर ये बर्ड फ्लू क्या है और क्या किसी मौसम मे ही ये होता है? बर्ड फ्लू या एवियन इनफ्लूएंजा वायरस मुख्य रूप से पक्षियों में पाया जाता है, परंतु यह अन्य जानवरों और इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, बर्ड फ्लू के इनफ़ेक्शन के बाद 60 प्रतिशत तक मौत का शक रहता है। प्राय सर्दियों में यह बीमारी तुल पकड़ती है। वर्ष 1996 में पहली बार चीन में बर्ड फ्लू वायरस पाया गया था और तभी से प्रत्येक वर्ष इस बीमारी को ज़ोर देखने को मिलता है। इंसानों में बर्ड फ्लू के कम केस होते हैं पर बहुत ही प्राणघातक होते हैं। पूरी दुनिया में इंसानों में बर्ड फ्लू के इनफ़ेक्शन के लगभग 1500 केस मिले हैं, जिनमें से 600 मरीजों की मृत्यु हो गई।
एवियन इनफ्लूएंजा या बर्ड फ्लू मे सिरदर्द, खांसी, बुखार,उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में अकड़न, गला चोक हो जाना आदि लक्षण पाए जाते हैं। बर्ड फ्लू की कोई विशिष्ट वेक्सीन बाजार में उपलब्ध नहीं है। अगर कोई पोल्ट्री निर्मित पदार्थों के संयोग में हैं और ऐसे असार हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, स्वयं किसी भी दवा का व्यवहार नहीं करें। बर्ड फ्लू पक्षियों और जानवरों के साथ ही साथ इंसानों में भी हो सकता है। लेकिन इंसानों से इंसानों के मध्य बर्ड फ्लू का फैलना बहुत ही कम देखने को मिलता है।
बर्ड फ्लू इंफेक्शन के अनुमोदन के लिए परीक्षण हर जगह मुमकिन नहीं है। दिल्ली के एम्स (AIIMS), पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान एवम् भोपाल की राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग में परीक्षण मुमकिन है।
अगर आप के मन में यह सवाल हैं कि क्या बर्ड फ्लू के समय अंडे, चिकन या अन्य पोल्ट्री निर्मित पदार्थों का उपयोग करना चाहिए या नहीं? तो बर्ड फ्लू के समय अंडे या चिकन का व्यवहार पूरी सावधानी के साथ कर सकते हैं। केंद्र या राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय या डब्ल्यूएचओ जैसी कोई भी एजेंसी द्वारा अंडे या मांस नहीं खाने को लेकर कोई परामर्श संचालित नहीं की है।
ऐसे पदार्थों का व्यवहार करते वक़्त एहतियात रखें। बाजार की तैयार की हुई चीजों को खाने की बजाय घर में बना कर खाएं। इनके व्यवहार से पहले अच्छी तरह से धो लेना चाहिए और उबालकर अच्छी तरह बना कर खाना चाहिए, कम से कम 70 डिग्री सेल्सियस पर पकाए।
अगर आप के घर या दफ्तर के नजदीक पोल्ट्री फॉर्म है तो साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अगर उस जगह बर्ड फ्लू का कोई भी केस मिलता है तो स्वास्थ्य एजेंसियां स्वयं सैनेटाइजेशन या संक्रमित पक्षियों को मारने का काम कर रही हैं।
पोल्ट्री फॉर्म मे काम करने वाले लोगों को पक्षियों से बर्ड फ्लू की लपेटे में आने का संकट अधिक रहता है। उन्हें पीपीई किट के जैसे ही अपने पूरे बदन को कवर कर के ही काम करना चाहिए। अगर इंफेक्शन के निशान हों तो तुरंत डॉ और स्वास्थ्य एजेंसियों से मिलें। घर-परिवार के सदस्यों से भी दूर रहें।